लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-2022 नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
आओ नूतन निर्माण करो
कोहरे के चादर लिपटी है
शीतलहर का कहर बरसा
दीन-दुखी जो विकल हुए
उनका जीवन उत्कर्ष करो
घनघोर अंधेरे को मिटाने
नवल प्रकाश किरणें लाओ
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
आओ नूतन निर्माण करो
मानवता का कल्याण सदा
ऐसे मानव का निर्माण करो
जन जन के जीवन में तुम
स्वर्ण- विहान प्रकाश भरो
जागृत कर अभिमान सदा
महाजागरण का युग लाओ
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
आओ नूतन निर्माण करो
भेदभाव की चिंगारी पनपी
मानव ही मानव का दुश्मन
मानव में देवत्व भाव जगाने
स्नेह की बरखा ले आओ
धरती पर नवअंकुर जमा
मुट्ठीभर धूप को ले आओ
जमा हुआ जीवन जो यहाँ
उसमें प्राण को तुम भर दो
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
आओ नूतन निर्माण करो
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Jan-2023 12:01 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 07:48 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Sachin dev
02-Jan-2023 06:26 PM
Nice
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